इश्क ने निकम्मा कर दिया

गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूं तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक हैं तुम्हारे के
इश्क ने "ग़ालिब" निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
   
                            (मिर्जा ग़ालिब)

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