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बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये

दिया है दिल को , बशर है क्या कहिये
हुआ रकीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये
यग जिद की आज न आये और आये  न रहे
काजा से शिकवा हमें किस कदर है , क्या कहिये

बाद मरने के मेरे


चाँद तस्वीर-ऐ-बुताँ, चंद हसीनों के खतूत
बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला

                                        (मिर्जा ग़ालिब) 

इश्क ने निकम्मा कर दिया

गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूं तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक हैं तुम्हारे के
इश्क ने "ग़ालिब" निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
   
                            (मिर्जा ग़ालिब)

जन्नत की हकीकत

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल को खुश करने को "ग़ालिब" यह ख़याल अच्छा है
                                                         
                                                         (मिर्जा ग़ालिब)